देहरादून। बुधवार से सावन का महीना शुरू हो गया है। सुबह से ही दून के मंदिरों और शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
बुधवार अलसुबह चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद गंगाजल से शुद्धिकरण कर मठ-मंदिरों और शिवालयों के कपाट खोल दिए गए।
बुधवार से ही श्रावण मास की विधिवत शुरुआत हुई। इसके मद्देनजर मठ मंदिरों खासकर शिव मंदिरों और शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जलाभिषेक को उमड़ी। श्रद्धालुओं ने स्नान करने के बाद गंगा पूजन इत्यादि करके शिव मंदिरों और शिवालयों में जलाभिषेक किया।
श्रावण मास सभी मासों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। ऐसा शिव पुराण में लिखा है। मान्यता है कि पुत्र प्राप्ति के लिए या समस्त मनोकामना को पूर्ण करने के लिए श्रावण मास में जब भगवान शिव की पूजा की जाती है तो कई हजार अश्वमेध यज्ञ करने के समान पुण्य प्राप्त होता है। अलग-अलग तरीके से अभिषेक करने का विधान है। गन्ने के रस से, गिलोय के रस से, भांग-धतूरा और कनेर के फूलों से भगवान शिव की उपासना की जाती है। इसमें यज्ञोपवीत दही, दूध, शहद, नारियल तथा नैवेद्य आदि सभी सामग्रियां भगवान शिव को अर्पण करने का विधान है। यह अभिषेक करने वाले व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है वह कितनी श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव की उपासना करता है। अगर आप कोई भी सामग्री भगवान शिव को अर्पण नहीं करते केवल बेलपत्र और दूध और घी शहद और शुद्ध जल से भगवान शिव को स्नान कराते हैं तो भी आपको भगवान शिव की कृपा पूर्ण रूप से प्राप्त होगी व आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
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