अतिक्रमण हटाने में अपनाए जा रहे दोहरे मापदण्ड
देहरादून। नगर निगम के अधिकारियों की कार्यशैली हमेशा से सवालों के घेरें में रही है। यह कार्यशैली खासकर अतिक्रमण को लेकर ज्यादा नजर आई है।
जब से नगर निगम का गठन हुआ है उसकी जमीने भू-माफिया के निशाने पर रही हैं। खासकर रसूखदारों के अवैध कब्जों पर दरियादिली को लेकर निगम प्रशासन हमेशा कटघरे में रहा है। हैरानी की बात यह है कि इन बड़े अवैध कब्जों को छोड़ नगर निगम फूटपाथों और सड़कों से छोटे-मोटे अतिक्रमण हटाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे हैं। यही नहीं अतिक्रमण हटाने की आड़ में दुकानदारों को परेशान किया जा रहा है। जो दुकानदार पहले ही काफी पीछे अपनी दुकाने किए हुए हैं उन्हे भी परेशान किया जा रहा है। जिसकों लेकर काफी सवाल खड़े हो रहे है। पिछले दिनों नगर निगम ने अतिक्रमण को लेकर अभियान शुरू किया था जिस पर व्यापारियों और कांग्रेस ने कईं सवाल खड़े किए थे। वहीं अब निगम की टीम ने ऐसे दुकानदारों को भी अतिक्रमण परेशान करना शुरू कर दिया है जो कि पहले ही सड़क से कईं फुट पीछे अपने कारोबार को संचालित कर रहे हैं। पिछले दिनों सहस्त्रधारा रोड पर निगम की टीम ने अतिक्रमण अभियान चला या जिसमें ऐसे स्थानों को भी तोड़ दिया गया जो कि किसी भी तरह से अतिक्रमण के दायरे में नहीं थे। सवाल यह उठ रहा है कि नगर निगम उन रसूखदारों पर आज तक कार्रवाई क्यों नहीं कर पाया जिन्होने निगम की सैकड़ों बीघा भूमि पर अवैध कब्जे किए हुए हैं। यही नहीं अवैध कब्जा करने वालों ने निगम को ऐसे कानूनी झमेलों में उलझा दिया ह,ै जिससे आज तक अधिकारी बाहर नहीं आ पाए हैं। इन जमीनों से नगर निगम के अधिकारी आज तक भी अवैध कब्जे हटा पाने में सफल नहीं हो पाया है। यहां तक की उसे यह भी पता नहीं है कि उसकी जमीने कितनी कब्जे में है और कितनी खाली पड़ी हुई है। भू-माफियाओं ने निगम के नाले-खाले तक कब्जा रखे हैं जिन्हे खाली कराने में अधिकारियों ने कोई जहमत नहीं उठाई। जिन अध्किारियों के पास निगम की जमीनों के रख-रखाव की जिम्मेदारी है उनकी भी भूमिका पर जनप्रतिनिधि निगम की बोर्ड बैठकों में सवाल खड़े कर चुके है, परन्तु निगम प्रशासन ने आज तक भी ऐसे अधिकारियों की जांच नहीं की।