प्यार के इजहार का दिन वैलेनटाइन डे पर विशेष। | Jokhim Samachar Network

Saturday, April 27, 2024

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प्यार के इजहार का दिन वैलेनटाइन डे पर विशेष।

वैलेनटाइन डे, यानि प्यार के इजहार का दिन। युवाओं का एक ऐसा त्योहार जो बहुत तेजी के साथ इस देश में लोकप्रिय हुआ और जिसे बाजारवादी मानसिकता ने पूरे एक सप्ताह का आयोजन बना दिया। हाॅलाकि यह कहना कठिन है कि किसी युवा दिल के लिऐ अपने प्यार का इजहार करने या फिर इससे मिलता-जुलता कोई आम्रंत्रण देने के लिऐ एक दिन विशेष का इन्तजार करना कितना मुश्किल होता होगा लेकिन फैशन व रिवाज के आगे मान्यताएं ध्वस्त होते देर नही लगती और दशकों तक की गयी गुलामी के चलते विदेशो (विशेषकर अंगे्रजी परस्त मुल्को) के तीज-त्योंहार, फल व अन्य तमाम तरह के उपकरण व साजोंसमान हमें वैसे भी ललचातंे है तो फिर हम इस वैलेनटाइन डे या वीक मनाने के मामले में पीछे कैसे रह सकते है। बाजारवाद के तहत किसी भी विषय अथवा वस्तु को जनता के बीच शीघ्रता से लोकप्रिय बनाने का एक आसान तरीका है कि नियमित तरीके से इस विषय अथवा वस्तु का विरोध किया जाय। पूर्व में भी आजमाया जा चुका यह तरीका एक बार फिर सफल रहा तथा शिवसेना व तमाम अन्य हिन्दूवादी संगठनो ने विरोध की तान छेड़कर इस दिन को ऐसा प्रचार दिया कि कई युवा दिल वैलेनटाइन डे मनाने को मचलने लगे और कुॅवारे या प्रेमी-प्रेमिका, को लेकर उत्साहित रहने वाले युवा जोड़े तो छोड़िये तमाम शादी-शुदा जोड़े भी अपने प्यार का सुबूत देने के लिऐ इस दिन का इन्तजार करने लगे। पहले बाजार में फूलो की बिक्री तेज हुई और फिर तरह-तरह के कार्ड, चाकलेट व टैडी समेत अन्य तमाम तरह के सामान भी उपहार के रूप में सामने आने लगे। वर्तमान में वैलेनटाइन डे के मौके पर भारत के बाजारों में हजारों करोड़ का लेनदेन होता है तथा फूलो का उत्पादन करने वाले किसान से लेकर छोट-मोटे स्टोरो का संचालन करने वाले तमाम व्यापारी लोग तक इस दिन का मतलब अच्छी तरह समझतें है। सन्त वैलेनटाइन को लेकर सुनाई जाने वाली कहानियों, में भी अब कोई खास नयापन नहीं रहा और न ही इस दिन को अब प्रचार-प्रसार की जरूरत है। सो विरोध की परम्परा भी अब मृतप्राय है और जवान होते बेटे-बेटियो के माॅ-बाप भी यह समझने लगे है कि ऐसे छोटे-मोटे मौको पर अपने नौनिहालो को थोड़ी बहुत आजादी दिया जाना जरूरी है। कुल मिलाकर कहने का तात्पर्य यह है कि वैलेनटाइन डे को अब भारतीय परम्पराओं के अनुरूप ढाल दिया गया है और प्रेम सम्बन्धों की शुरूवात के बाद परिणय सूत्र में बॅधने के लिऐ भी यह सप्ताह बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। इसलिऐं हालातों के मद्देनजर रखते हुऐ इस दिवस या सप्ताह में होने वाले आयोजनों के पक्ष-विपक्ष में किसी भी तरह की बहस या सफाई प्रस्तुत करने के स्थान पर हवा के रूख के साथ चलने में फायदा है क्योंकि हो सकता है कि आने वाले दिनो में कोई सरकार या राजनैतिक दल युवा मतो की ताकत व युवाओं के जीवन में वैलेनटाइन डे का महत्व समझते हुऐ इस दिन को सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दें और वैलेनटानइ डे पर अपने प्रेमी-प्रेमिकाओं के साथ घूमने जाने वाले युवा जोड़ो को सरकार की ओर से निशुल्क परिवहन सुविधा के अलावा होटल, आवास व भोजन आदि पर बड़ी छूट का ऐलान भी किया जाय। युवा होते दिख रहे भारत में मतदाताओं को निशुल्क तोहफो का लालच देकर ललचाने व एक वर्ग विशेष के मतो को अपने पक्ष में करने के लिऐ नेताजी व उनके राजनैतिक दलो द्वारा भिड़ायी जाने वाली तिकड़में नई नही है और फिर विदेश से आयातित इस त्योहार पर किसी जाति, धर्म या क्षेत्र विशेष का ठप्पा भी नही लगा हुआ। अर्थात पूर्ण रूप से धर्मनिरपेक्ष कहे जा सकने वाले वैलेनटाइन डे के त्योहार को मनाने में किसी भी तरह की संकीर्णता व तुच्छ मानसिकता से ग्रसित घोषित होने का खतरा भी नही है। इसलिऐं जल्दी कीजिऐं और अपने प्यारे वैलेनटाइन को एक फूल देकर प्यार का इजहार करने में देर मत कीजिऐं। अगर आप शादीशुदा है तो ध्यान रखे कि पत्नी के अलावा किसी और को यह मौका देना आपके स्वास्थ्य के लिऐ हानिकारक हो सकता है लेकिन अगर आप शादीशुदा होने के साथ ही साथ किसी युवा पुत्र-पुत्री के पिता भी है तो तय कर लीजियें कि ऐसे अवसरो के लिये आप अपने नौनिहालो को किस हद तक छूट दे सकते हैं।

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