महाराष्ट्र के सागंली जिले में बलबाड़ी के गाँव में किसान, सम्पतराव पवार (77) ने अपने चार-एकड़ के गन्ने के खेत को साफ कर,पेड़ लगाने का बीड़ा 1998 में उठाया। शुरू में उनका परिवार ही विरोध करता था और गाँव वाले मजाक उठाते थे। पर पूरे भरोसे, विश्वास और लगन से पवार ने 17 सालों में एक बगीचा बनाया जिसमें 700 पेड़ है जो कि अलग-अलग शहीदों के नाम पर है। ‘क्रांतिवन’ यही अनूठा बगीचा है जहाँ बिरसा मुन्डा, अशफाकउल्लाह, भगत सिंह, चन्दशेखर आजाद, मंगल पांडे इत्यादि 700 शहीद पेड़ों के रूप में शक्ल लिए हुए हैं और मुल्कवासियों को अपने शहीदों की याद दिलाते रहेंगे जिनके जज्बे और जां निछावरी की वजह से ही हमें यह आजादी मयस्सर हुई है। ‘क्रांतिवन’ और सम्पत को आजादी की पूर्व मेला में लाखों सलाम।