जनता ने सेवा करने के लिए भेजा है, न कि डकैती करने के लिए: दिलीप रावत   | Jokhim Samachar Network

Tuesday, April 30, 2024

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जनता ने सेवा करने के लिए भेजा है, न कि डकैती करने के लिए: दिलीप रावत  

देहरादून। उत्तराखंड में इनदिनों अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में पेपर लीक और विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाले को लेकर जहां युवा वर्ग अपनी आवाज उठा रहा है तो वहीं अब बीजेपी संगठन के अंदर से भी भर्ती घोटाले के खिलाफ आवाज उठने लगी है। बीजेपी विधायक दलीप रावत ने भी इन घोटालों की कड़े शब्दों में निंदा की है.उत्तराखंड राज्य बनने के बाद कांग्रेस हो या फिर बीजेपी दोनों के शासनकाल में हुई भर्तियों में गड़बड़ी के खुलासे हो रहे हैं। जिसके बाद दोनों ही दलों के खिलाफ जनता में भारी आक्रोश है। अब सत्ताधारी पार्टी के विधायक भी खुलकर बोलने लगे हैं। साथ ही अपने ही दल के नेताओं को नसीहत देने से भी नहीं चूक रहे हैं। जहां इससे पहले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और धर्मपुर से बीजेपी विधायक विनोद चमोली भी भ्रष्टाचार में संलिप्त नेताओं को नसीहत दे चुके हैं। अब लैंसडाउन बीजेपी विधायक महंत दलीप रावत भी सामने आ गए हैं। उनका कहना है कि जनता ने उन्हें सेवा करने के लिए भेजा है, न कि डकैती करने के लिए।
मैं किसी व्यक्तिगत दल के नहीं कहूंगा, लेकिन जनता ने हमें सेवा करने के लिए भेजा है, डकैती करने के लिए नहीं भेजा है।  जनता उनपर विश्वास करती है।  तभी उन्हें चुनकर यहां भेजती है। इसलिए हमें नैतिकता और आचरण का भी ध्यान रखना चाहिए। जनता के प्रति समर्पित भाव से काम करना चाहिए, न कि उनके अधिकारों का हनन करना चाहिए. -दलीप सिंह रावत, बीजेपी विधायक, लैंसडाउन
गौर हो कि बीती 24 जुलाई को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में फर्जीवाड़े को लेकर बड़ा खुलासा हुआ था. इस मामले में उत्तराखंड एसटीएफ की टीम 34 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. जिनमें परीक्षा करवाने वाली कंपनी के टेक्निकल स्टाफ, आयोग के होमगार्ड, कोचिंग संचालक, कुछ मुन्नाभाई, सचिवालय में तैनात अपर सचिव, जखोल जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह समेत कई लोग शामिल हैं। इसके अलावा उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर भर्ती मामला भी इन दिनों सुर्खियों में है। इस मामले में उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने तीन सदस्य जांच कमेटी गठित की है, जो एक महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। पहले चरण में साल 2012 से लेकर अभी (2022) तक की भर्तियों की जांच होगी और दूसरे चरण में राज्य गठन 2002 से लेकर 2012 की भर्तियों की जांच की जाएगी। बता दें विधानसभा भर्ती घोटाले में तमाम नेताओं के रिश्तेदारों और करीबियों के नाम सामने आएं हैं।

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