चुनाव में महिला शक्ति के मुद्दे भी गायब | Jokhim Samachar Network

Wednesday, December 04, 2024

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चुनाव में महिला शक्ति के मुद्दे भी गायब

देहरादून। पहाड़ी राज्य कहे जाने वाले उत्तराखंड में लोकसभा चुनावों का प्रचार अब जोर पकड़ गया है। प्रचार के लिए अब दो हफ्ते ही बचे हैं और राजनीतिक दल अब पूरे जोर-शोर के साथ पार्टी का प्रचार करने लगे हैं। लेकिन महिला शक्ति के लिए पहचाने जाने वाले राज्य में महिलाओं की समस्याओं से जुड़े मुद्दे राजनीतिक दलों के एजेंडे से नदारद हैं। इससे पहाड़ की महिलाओं में बेहद नाराजगी है। पहाड़ी राज्य कहे जाने वाले उत्तराखंड की रीढ़ आज भी महिलाएं ही हैं. महिलाएं यहां खेत से लेकर सर्विस सेक्टर तक में काम कर रही हैं। लेकिन इसके बावजूद पहाड़ में महिलाओं की जिंदगी को आसान और बेहतर बनाने के लिए ऐसे काम नहीं हुए हैं जिनके वादे राजनीतिक दल चुनावों के समय करते हैं. चमोली की महिलाओं का कहना है कि चुनाव के वक्त राजनेता जो वायदे करते हैं सत्ता मिलने पर अगर उन पर काम होता तो महिलाओं की न सिर्फ स्थिति में सुधार होता बल्कि यहां पलायन भी रुकता.
इय मामले में दो महिला अंजू और कमला ने कहा कि पहाड़ की महिलाओं के लिए रोजगार का इंतजाम किया जाना चाहिए ताकि जरूरतें यहीं पूरी हो सकें और पलायन न करना पड़े।
पहली बार वोट करने वाली अनु और मधु को पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करना सबसे जरूरी लगता है. अपने मताधिकार के प्रति जागरूक युवा मतदाता कहती हैं कि वोट उसी को देंगीं जो रोजगार के साथ ही उत्तराखंड की महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध करवाएगा।

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