ऋषिकेश एम्स पर लागू नहीं होती प्रदेश की आरक्षणनीति | Jokhim Samachar Network

Wednesday, December 11, 2024

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ऋषिकेश एम्स पर लागू नहीं होती प्रदेश की आरक्षणनीति

ऋषिकेश। एम्स से हटाए गए आउटसोर्स कर्मियों को वापस लेने व संस्थान में ग्रुप सी व डी के पदों पर स्थानीय लोगों को भर्ती करने को लेकर पिछले कुछ दिनों से राजनीति हो रही है। जिसमें कई लोग एम्स में नौकरियों में आरक्षण को लेकर अतार्किक बयानबाजी कर रहे हैं, एम्स संस्थान में ग्रुप सी व डी पदों पर 70ः आरक्षण की बात कही जा रही है। उनका कहना है कि एम्स में ग्रुप सी और डी के पदों पर उत्तराखंड के बेरोजगारों को 70ः आरक्षण मिलना चाहिए।
एम्स प्रशासन का कहना है कि सरकार द्वारा एम्स ऋषिकेश में ग्रुप डी का कोई पद ही सृजित नहीं किया गया है। जहां तक ग्रुप सी एवं बी के पदों की बात है इन पदों की भर्ती के लिए केंद्र सरकार का संस्थान होने के कारण एम्स में भारत सरकार के नियम लागू होते हैं। जिसके अंतर्गत अभी तक केंद्र सरकार ने ऐसा कोई नोटिफिकेशन (सर्कुलर) जारी नहीं किया है,जिसमें स्थानीय लोगों को आरक्षण देने का प्रावधान किया गया हो।
ज्ञातव्य है कि 11 नवंबर- 2004 को तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की सरकार ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में शहीद आंदोलनकारियों के आश्रितों और घायल आंदोलनकारियों को सरकारी सेवा में 10 फीसदी आरक्षण के दो शासनादेश जारी किए थे, इनमें एक राज्य लोक सेवा आयोग की परिधि के बाहर के पदों के लिए और दूसरा राज्य लोक सेवा आयोग के पदों के लिए था,मगर 2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट नैनीताल ने राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी सेवा में क्षैतिज आरक्षण को असंवैधानिक घोषित कर दिया और वर्तमान में यह आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं है। भारतीय संविधान के वर्तमान प्रावधानों के अंतर्गत निवास के आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। भारत सरकार के संस्थानों में देशभर के विभिन्न राज्यों के निवासी आवेदन कर सकते हैं और नौकरी पा सकते है। एम्स प्रशासन का कहना है कि यदि भारत सरकार ऐसा कोई प्रावधान करती है तो उसका शब्दशः पालन सुनिश्चित किया जाएगा। एम्स प्रशासन ने इस तरह की बयानबाजी को राजनीति से प्रेरित और अतार्किक बताया है। उन्होंने बताया कि बिना सरकारी प्रावधानों के यह सब दिवास्वप्न जैसा है।

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