देहरादून। संयुक्त राष्ट्र सड़क सुरक्षा सप्ताह 8-14 मई 2020 के अवसर पर संजय आॅर्थोपीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेन्टर व सेवा सोसाइटी द्वारा पूर्व की भाँति इस बार भी सड़क सुरक्षा जागरूकता की श्रृंखला की कड़ी को आगे बढ़ाने की पूरी तैयारी कर चुका था लेकिन कोरोना वायरस की महामारी देखते हुए जागरूकता कार्यक्रम को स्थगित किया गया है। डाॅ. संजय ने बताया, कि हमारा सेंटर और सेवा सोसाइटी ने पिछले 15 सालों से सड़क सुरक्षा के ऊपर अब तक दो सौ से अधिक निःशुल्क जागरूकता व्याख्यान दे चुका है जिसको कि इंडिया बुक आॅफ रिकार्ड में रिकार्ड में उल्लेखित किया गया है।
डाॅ. संजय ने बताया कि जिस तरह से हमारी देश एवं प्रदेशों की सरकार, गैर सरकारी संस्थाऐं, समाज एवं मीडिया ने जिस तरह से कोविड-19 के संक्रमण के बारे में जागरूकता का अभियान चलाकर कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में जो सफलता पायी वह बहुत ही सराहनीय है। यदि सरकार एवं जनता किसी राष्ट्र हित या जनहित के काम को पूरा करने का बीड़ा उठा लें तो हम सब भारतवासी मिलजुल कर कोरोना वायरस महामारी क्या किसी भी महामारी से निजात पा सकते हैं और उनमें एक है सड़क दुर्घटनाओं की महामारी। विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं भारत सरकार की सड़क दुर्घटनाओं की अधिकारिक पिछले साल की रिपोर्ट के अनुसार चार महिनों में सड़क दुघटनाओं से भारत में लगभग 50 हजार लोगों की मौत हो जाती है जब कि इतने दिनों में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या ढ़ाई हजार है। पिछले चार महिने में नोवल कोविड-19 से मरने वालों की संख्या एवं सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या आँकलन करें तो सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या की तुलना में नोवल कोविड-19 से मरने वालों की संख्या नग्नय है। डाॅ. संजय का मानना है कि व्यक्ति चाहे वह कोरोना वायरस के संक्रमण से मरे या फिर वह सड़क दुर्घटनाओं से मरे, यह तो निश्चित है कि यह मरने वाले परिवार एवं अन्तोतगत्वा सम्पूर्ण राष्ट्र की ही क्षति है। डाॅ. संजय ने बताया कि देश के शासन, प्रशासन, गैर-सरकारी सामाजिक संस्थाऐं एवं समस्त नागरिकों ने जो उत्साह और संसाधन कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए लगायें यदि उसका लगभग एक हजारवाँ या ज्यादा से ज्यादा एक सौवाँ हिस्सा सड़क दुर्घटनाओं की महामारी में लगाते हैं तो इसके परिणाम बहुत अच्छे एवं दूरगामी होंगे।
डाॅ. गौरव संजय ने बताया कि यदि दुर्घटनाओं को हमें कम करना है तो हम सब को मिलकर पहले व्यक्तिगत वाहनों की संख्या को कम करना चाहिए और सावर्जनिक यातायात वाहनों की संख्या बढ़ायी जानी चाहिए। यदि ऐसा किया गया तो तो मेरा पूर्ण विश्वास है कि व्यक्तिगत वाहनों से होने वाले सड़क दुर्घटनाओं की संख्या निश्चित ही कम हो जायेगी। जैसा कि उŸाराखंड पुलिस विभाग द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, लाॅक डाउन के दौरान पिछले माह अप्रैल में सड़क दुर्घटनाओं से मरने वालों की संख्या लगभग शून्य रही और यदि लाॅकडाउन न होता तो मेरा अंदाज है कि सड़क में मरने वालों की संख्या लगभग हजारों में होती। जहाँ तक कोरोना वायरस महामारी होने वाले कारकों को तो हम नहीं पहचान पा रहे है लेकिन सड़क दुर्घटनाओं के कारक तो जग जाहिर है।