
नेशनल वेब मीडिया जर्नलिस्ट यूनियन की ओर से यूनियन के महासचिव संजीव पंत और संगठन सचिव आशुतोष नेगी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने नवनियुक्त सूचना महानिदेशक बंसीधर तिवारी से मुलाक़ात कर वेब मीडिया को विज्ञापन दिये जाने के संदर्भ में हाल ही में जारी टेंडर प्रक्रिया के सम्बन्ध में पत्रकारों का पक्ष रखा। ज्ञात रहे कि यूनियन से जुड़े पदाधिकारियों ने एक बार पूर्व में भी दिनांक 12/09/2022 को महानिदेशक सूचना के समक्ष मौखिक रूप से पत्रकारों का पक्ष रखा था जिसपर डीजी सूचना द्वारा तथ्यों को गंभीरता से लेते हुए समस्त बिंदुओं को लिखित रूप से देने की बात कहते हुए आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन भी दिया था । इसी क्रम में नेशनल वेब मीडिया जर्नलिस्ट यूनियन की
तरफ से सूचना महानिदेशक को सौंपे गये पत्र में कहा गया है कि
“सूचना विभाग द्वारा एक बार पुनः वेब पोर्टलों को सरकारी विज्ञापन दिये जाने के सम्बन्ध में अनुबन्धित किये जाने हेतु टेन्डर विज्ञापित कर दिया गया है तथा इसी माह के अन्त में टेन्डरों का खोला जाना भी सुनिश्चित है। इस परिपेक्ष्य में हमारे संगठन द्वारा लगातार यह आपत्ति की जाती रही है कि टेन्डर प्रक्रिया में भागीदारी के उपरान्त किसी भी वेब पोर्टल का संचालक एक ठेकेदार की हैसियत से सामने आता है जबकि उस बेब पोर्टल में कार्यरत समस्त कर्मकारों की हैसियत ठेकेदार द्वारा सरकार के काम-काज की व्यक्तिगत स्तर पर प्रशन्सा करने हेतु अनुबंधित श्रमिक जैसी हो जाती है जिस कारण जाने-अन्जाने में सरकार द्वारा उसके पत्रकारिता से जुड़े चरित्र की हत्या कर दी जाती है। संगठन द्वारा उक्त संदर्भ में पूर्व में भी सूचना विभाग व माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी को ज्ञापन भी दिया गया था, जिसपर संगठन से जुड़े साथियों की भावना को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा प्रस्तावित उत्तराखण्ड प्रेस मान्यता नियमावली 2022 हेतु मांगे गये सुझावों में वेब पोर्टल से जुड़े साथियों को मान्यता दिये जाने की मंशा भी जतायी गयी है और उत्तराखण्ड में पत्रकार हितों हेतु संर्घषरत लगभग सभी पत्रकार संगठनों द्वारा वेब पोर्टल में कार्यरत पत्रकार साथियों को मान्यता दिये जाने को सहजता से स्वीकार करते हुए इस परिपेक्ष्य में अपने सुझाव भी दिये है लेकिन समाचार पत्रों व अन्य समाचार माध्यमों की भाति विज्ञापन के प्रकाशन व प्रसारण हेतु वेब पोर्टलों को सूचीबद्ध किये जाने के स्थान पर एक बार पुनः वेब पोर्टलों को विज्ञापन दिये जाने के संदर्भ में टेन्डर का प्रकाशन सरकार एवं विभाग की मंशा पर सवाल खड़े करता है। उपरोक्त के अलावा टेन्डर प्रक्रिया में भागीदारी करने वाले बेब पोर्टलों के लिये क्रमशः ग्रुप ए,बी व सी हेतु विज्ञापन प्रकाशित करने की न्यूनतम दरें न दिया जाना भी एक असमंजस की स्थिति पैदा करता है जबकि पूर्व में विभाग द्वारा अनुबंधित किये गये वेब पोर्टलों में से चुनिंदा रूप से कुछ को अलग से विज्ञापन दिया जाना सम्पूर्ण टेन्डर प्रक्रिया को ही शक के दायरे
में खड़ा करता है।पत्र में आगे कहा गया है कि पत्रकार साथियों द्वारा यह आशंका भी व्यक्त की जा रही है कि विभाग टेन्डर प्रक्रिया के नाम पर उत्तराखण्ड से बाहर रह कर कागजी आधार पर पत्रकारिता कर रहे कुछ पोर्टल स्वामियों को लाभ पहुंचाना चाहता है और विभाग द्वारा उच्चस्तरीय आदेशों के नाम पर समय-समय पर की जाने वाली विज्ञापनों की बन्दरबाट भी यह इशारा करती है कि पत्रकार साथियों की शिकायतें निराधार नहीं है। इसी प्रकार विभाग द्वारा वेब पोर्टलों से इतर हटकर ऐप के नाम से कुछ चुनिन्दा लोगों को फायदा पहुंचाने के लिये अलग नियम व शर्तों के आधार पर विज्ञापन प्रकाशन व प्रसारण हेतु सूचीबद्ध किया जाना यह दर्शाता है कि विभाग द्वारा ‘समरथ को नहिं दोष गुसांई’ की तर्ज पर अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने का कोई भी मौका चूकनें नही जाता है क्योकि किसी भी एप को चलाने के लिये वेबसाइट का होना नितान्त आवश्यक व प्रारम्भिक शर्त है और यदि विभाग द्वारा वेब पोर्टलों की सूचीबद्धता अथवा टेन्डर प्रक्रिया से पूर्व उत्तराखण्ड से संचालित वेब पोर्टलों को एप के माध्यम से कार्य करने अथवा आगे आने पर कोई विशेष सुविधा अथवा भुगतान दिये जाने की चर्चा पूर्व में की जाती तो विभाग द्वारा अपने निजी सम्बन्धों अथवा विशेष दबाव के आधार पर कुछ व्यक्ति विशेषों को दिया जा रहा यह लाभ सभी इच्छुक वेब पोर्टल स्वामियों को प्राप्त हो सकता था।
पत्र में आगे कहा गया है कि नवनियुक्त सूचना महानिदेशक
के साथ हुई प्रथम भेंट में विभाग के कुछ कार्मिकों द्वारा जानबूझकर भुगतान सम्बन्धी फाइलें लटकाये जाने और डीएवीपी द्वारा निर्धारित विज्ञापन दरों को लगातार पत्राचार के बावजूद लागू न किये जाने आदि के संदर्भ में विस्तार से चर्चा की जा चुकी है तथा मांगे जाने पर उक्त संदर्भ में समस्त तथ्य व साक्ष्य विभाग को एक बार पुनः उपलब्ध कराये जा सकते है।पत्र में अंत मे सूचना महानिदेशक से निवेदन किया गया है कि उपरोक्त सभी तथ्यों व विषयों को गम्भीरता से लेते हुए टेन्डर की प्रस्तावित प्रक्रिया एवं भेंट के दौरान हुए सामने आये समस्त विषयों पर एक बार पुनः गम्भीरता से विचार किया जायेगा ताकि पत्रकारिता से जुड़े हमारे समस्त साथियों को अपने दैनिक जीवन में आर्थिक व मानसिक उत्पीड़न का शिकार न होना पड़ें।