
विकासनगर। संस्कार भारती की ओर से होली पर एनफील्ड लॉन में गुरुवार को काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। होली पर रंगों की फुहार, भावों गीतों की मनुहार कार्यक्रम के तहत आयोजित गोष्ठी में पछुवादून के साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से फगुवा रंग बिखेरे। फगुवा रंगों की फुहार से पहले कवियत्री विमला भंडारी ने ‘हे स्वर की देवी, मुझे ज्ञान दो, शरण में आई हूं पहचान दो…, कविता पाठ कर सरस्वती वंदना की। राजीव बडोनी ने ‘अब के बरस रंग ऐसा लगाएंगे, प्यार के गुलाल से होली मनाएंगे, भीगी पलकों पर केसरिया सजाएंगे, मां की चुनर धानी कर जाएंगे…, गीत गाकर होली को आपसी भाई चारे और एकता के साथ मनाने का संदेश दिया। विमला भंडारी ने ‘आई रे आई होली, फागुनी मास की होली, अबीर गुलाल की होली…, गाकर खूब तालियां बटोरी। राशि राही ने ‘ ताज्जुब किस लिए है, गम खुशी के साथ रहता है, अंधेरा तो हमेशा रोशनी के साथ रहता है…, कलाम पढ़कर विषम परिस्थितियों में भी खुश रहना का संदेश दिया। पुष्पेंद्र त्यागी ने ‘बड़ी महकी हुई रंगी, सच तेरी ये सोहबत है, तुम्हें हमसे मौहब्बत है, हमें तुमसे मौहब्बत है…, गीत गाकर फाग की मस्ती में प्रेम रंग घोल दिया। शायर मजाहिउरद्दीन ने ‘गांव को छोड़ा, शहर आ गया हूं, तेरी याद आए, बसंती बसंती, ये दिल झूम गाए बसंती बसंती…, गाकर फाग और वसंत के मिश्रण का अनुभव कराया। इसके साथ ही पूजा, अनिल कांडपाल, वंशिका थापा, विवेक नेगी, समृद्धि, आरुषी की रचनाओं ने फाग की मस्ती में हंसगुल्लों की फुहारों की बौछार कर खूब तालियां बटोरी।