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Friday, March 29, 2024

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सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की 

सरदार पटेल ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ की विचारधारा को किया परिलक्षित: स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज भारत के पहले गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि उन्होंने अपनी दूरदृष्टि और मजबूत इरादों से भारत को एकजुट करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वर्तमान समय में वैश्विक शान्ति, सह-अस्तित्व और सहिष्णुता की स्थापना के लिये वैश्विक एकजुटता अत्यंत आवश्यक है और अपने आर्थिक हितों से उपर उठकर ही शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व की स्थापना की जा सकती है।
वर्तमान समय में न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर भी असुरक्षा की जड़ें गहरी होती जा रही है, ऐसे में अनेक प्रकार के संघर्ष उत्पन्न होते है इसलिये एकजुटता का मंत्र नितांत आवश्यक है। सरदार पटेल में स्वतंत्र भारत का स्वागत पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण को एकजुट करके किया था, जगद्गुरू शंकराचार्य जी ने भी भारतीयों को एकजुट करने के लिये चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की और भारतीय संस्कृति तो वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति है। वर्तमान समय में जरूरत है इन दिव्य मंत्रों को आत्मसात करने की और युवा पीढ़ी को इन संदेशों से पोषित करने की तभी एकजुटता को समाज में स्थापित किया जा सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि हम सब मिलकर सामूहिक प्रयास करें और अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी एवं सच्ची निष्ठा के साथ करें तो वर्तमान समय में भी वैश्विक एकजुटता को स्थापित किया जा सकता है। यदि हम ऐसा करने में सफल हो पाते हैं, तो निश्चित रूप से न केवल भारत बल्कि विश्व स्तर पर सद्भावना, एकता और सद्भाव को स्थापित कर सकते हैं। एक बात हमें याद रखनी होगी कि संघर्ष चाहे आपसी को या राष्ट्रीय उनका मुकाबला एकता एवं सद्भाव से ही किया जा सकता है।
एकजुटता के अभाव में देश की एकता एवं अखंडता के लिये खतरा उत्पन्न हो सकता  है। एकजुटता का अभाव देश की आंतरिक सुरक्षा के लिये भी चुनौती  है इसलिये शांति, अहिंसा, करुणा और मानवतावाद के मूल्यों के साथ आने वाली पीढ़ियों को पोषित करना होगा तभी एक आदर्श समाज की स्थापना की जा सकती है।

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