विकासनगर। बावर क्षेत्र के शिलगांव और त्यूणी में काठ के हाथी और हिरण नृत्य के साथ पांच दिवसीय बूढ़ी दीपावली का समापन हो गया। रविवार की पूरी रात पंचायती आंगनों में लोक संस्कृति की अनूठी छठा बिखरी। सोमवार सुबह हिरण, हाथी नृत्य के बाद सामूहिक चौड़ना नृत्य के साथ पर्व का समापन हुआ।
बावर की शिलगांव खत से जुड़े करीब डेढ़ सौ गांवों में पिछले पांच दिनों से बूढ़ी दीपावली का जश्न चल रहा था। सोमवार सुबह शिलगांव खत के छजाड़ गांव में काठ का हाथी और हिरण सजाया गया। गांव के स्याणा परिवार के लोगों ने काठ के हाथी और हिरण पर बैठकर नृत्य किया। हाथी नृत्य के दौरान ग्रामीण महिलाओं ने परंपरागत तरीके से जौनसारी तांदी नृत्य की प्रस्तुति से देवता की आराधना की। इसके अलावा जौनसार के कई ग्रामीण इलाकों में बूढ़ी दीपावली के मौके पर हिरण नृत्य का आयोजन किया गया। शिलगांव व जौनसार के ज्यादातर गांवों में सोमवार को हाथी नृत्य व हिरण नाच के साथ बूढ़ी दिवाली का परंपरागत तरीके से समापन हो गया। जबकि क्षेत्र के कुछ अन्य गांवों में मंगलवार सुबह बूढ़ी दीपावली का समापन होगा। इस दौरान पांच दिनों तक क्षेत्र के पंचायती आंगन लोक संस्कृति से गुलजार रहे। समापन अवसर पर पंचायती आंगन में जुटे ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से हारूल, तांदी, झैंता नृत्य किया। पंचायती आंगन में लोकनृत्य के बाद ग्रामीणों ने ईष्ट देवता की पूजा अर्चना कर खुशहाली की मन्नत मांगी। वहीं कालसी और साहिया क्षेत्र के अधिकांश गांवों में मंगलवार सुबह हिरण नृत्य के साथ दीपावली का समापन होगा।