प्रादेशिक निरंकारी सन्त समागम 26, 27 एवं 28 फरवरी को वर्चुअल रूप रूप होगा आयोजित | Jokhim Samachar Network

Thursday, April 25, 2024

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प्रादेशिक निरंकारी सन्त समागम 26, 27 एवं 28 फरवरी को वर्चुअल रूप रूप होगा आयोजित

देहरादून । निरंकारी सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज की पावन छत्रछाया में महाराष्ट्र का 54वां प्रादेशिक निरंकारी सन्त समागम 26-27 एवं 28 फरवरी को वर्चुअल रूप में आयोजित किया जा रहा है। कोरोना वायरस का संक्रमण अभी भी पूर्णतया थमा नहीं है इस बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा कोविड-19 के बारे में जारी किए गये दिशा- निर्देशों के अनुसार समागम का आयोजन वर्चुअल रूप में किया जा रहा है। मिशन के सेवादारों के द्वारा पिछले करीब डेढ महीने से इस सन्त समागम की तैयारियांय संत निरंकारी सत्संग देहरादून में हो रही हैं सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज के सान्निध्य में समागम में सम्मिलित होने वाले वक्ता, गीतकार, गायक, कवि, संगीतकार एवं वादक सभी इस भवन में आकर अपनी प्रस्तुतियां प्रस्तुत कर चुके हैं, जिसे वर्चुअल रूप में प्रसारित करने के लिए रिकार्ड किया गया है। महाराष्ट्र के सभी क्षेत्रों के अतिरिक्त आस-पास के राज्यों तथा देश विदेशों से भी कई वक्ताओं ने इस समागम में हिस्सा लिया है।
समागम की तैयारियों के दौरान कोविड-19 के सन्दर्भ में सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशानुसार सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना ( दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी), सैनिटाईजेशन इत्यादि के अलावा समागम सेवाओं में संलग्न एवं सम्मिलित होने वाले सभी प्रतिनिधियों की कोविड जाँच भी कराई गई ताकि सारे कार्य निर्विघ्न संपन्न हो सकें। मिशन के इतिहास में ऐसा प्रथम बार होने जा रहा है कि इस वर्ष का 54 वां प्रादेशिक निरंकारी संत समागम वर्चुअल रूप में आयोजित किया जा रहा है निरंकार प्रभु परमात्मा की इच्छा को सर्वोपरी मानते हुए हर्षोल्लास के साथ भक्तजन इसे स्वीकार कर रहे हैं। संपूर्ण समागम का वर्चुअल प्रसारण मिशन की वेबसाईट पर दिनांक 26 27 एवं 28 फरवरी, 2021 को प्रस्तुत किया जायेगा। इसके अतिरिक्त यह समागम संस्कार टी.वी. चैनल पर तीनों दिन सायं 5.00 से रात्रि 9.00 बजे तक प्रसारित किया जायेगा।
निरंकारी संत समागमों की श्रृंखला पर यदि हम नजर डालते हैं तो महाराष्ट्र का पहला समागम 1968 में शिवाजी पार्क, मुंबई में बाबा गुरबचन सिंह जी के पावन सान्निध्य में संपन्न हुआ और समागमों की इस अविरल श्रृंखला का आरंभ हुआ। 1980 तक बाबा गुरबचन सिंह की छत्रछाया में यह समागम होते रहे और फिर बाबा हरदेव सिंह की रहनुमाई में 36 वर्षों तक इस परम्परा को आगे बढ़ाया गया उसके उपरांत 2 वर्षों तक सत्गुरु माता सविन्दर हरदेव जी के पावन सान्निध्य में समागम संपन्न हुए और वर्तमान में सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज उसी ऊर्जा और तन्मयता से इसे आगे बढ़ा रहे है। देहरादून महानगर के विभिन्न मैदानों में लगातार 52 वर्षों से यह समागम होते आये थे जबकि पिछले वर्ष महाराष्ट्र का 53वां समागम पहली बार मुम्बई से हटकर नासिक में आयोजित किया गया। इस वर्ष समागम का मुख्य विषय स्थिरता रखा गया है प्रकृति में निरंतर परिवर्तन होता रहता है और कई प्रकार की उथल-पुथल होती रहती है केवल एक परमसत्य परमात्मा ही स्थिर है। जिस मनुष्य का नाता इस एकरस रहने वाली सत्ता से जुड़ जाता है। उसके जीवन में स्थिरता आ जाती है और हमें हर परिस्थिति में एकरस रहने की शक्ति मिल जाती है। महाराष्ट्र के इस समागम के माध्यम से भी इसी पावन सन्देश को वर्चुअल रूप में जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास किया जायेगा। संत निरंकारी मिशन सदैव ही समाज सेवा के लिए अग्रणी रहा है विश्व आपदा कोविड-19 के दौरान संत निरंकारी मिशन द्वारा सरकार के दिये गये दिशा निर्देशानुसार सोशल डिस्टेंसिंग (दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी) को निभाते हुए जनकल्याण की भलाई के लिए अनेक सराहनीय कार्य किए गये जिसमें मुख्यतः संत निरंकारी मण्डल द्वारा मुम्बई में गठित, संत निरंकारी ब्लड बैंक ने अहम भूमिका निभाई और हजारों की संख्या में हर जरूरतमंदों को समय पर ब्लड देकर उनका जीवन बचाया यह सेवाएं निरंतर जारी हैं। पिछले कुछ वर्षों से महाराष्ट्र का यह समागम अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप ले चुका है। इसमें देश-विदेश से बड़ी संख्या में निरंकारी भक्त सम्मिलित होते आये हैं यह समागम भले ही वर्चुअल रूप में हो रहा है, फिर भी इसका बेसबरी से विश्वभर में इंतजार किया जा रहा है।

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