देहरादून। स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने विश्व पर्यावरण दिवस पर रिस्पना पुल पर प्रदर्शन किया। ‘कट गए जंगल, मर गई नदी, वेलकम टू 21वीं सदी की थीम पर विकास के नाम पर पेड़ों के कटान का विरोध किया। जनगीत और नारों के माध्यम से जनता तक अपनी बात पहुंचाई। एसएफआई के प्रदेश अध्यक्ष नितिन मलेठा ने कहा कि देहरादून शहर के अंदर पिछले तीन सालों में पर्यावरण संवर्धन के लिए प्रदर्शनों और आंदोलनों की संख्या बढ़ी है। क्योंकि देहरादून के नदी और जंगलों को भू माफिया के मुनाफे के लिए नष्ट किया जा रहा है। सतत विकास एवं पर्यावरण संवर्धन की ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। रिस्पना और बिंदाल नदियां एक गंदा नाला बनकर रह गयी हैं। एक के बाद एक जंगल काटे जा रहे हैं। राज्य सचिव हिमांशु चौहान ने कहा कि केदारनाथ जैसे पवित्र स्थल पर भी भारी अव्यवस्था के कारण जैविक और अजैविक कचरे का अंबार लग गया है। बुग्यालों को क्षति पहुंचाई जा रही है। प्रदर्शन में सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून के संस्थापक हिमांशु अरोड़ा ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने देहरादून में नदियों में छेड़छाड़ और पेड़ों के कटान पर नाराजगी व्यक्ति की। एसएफआई डीएवी कॉलेज इकाई के अध्यक्ष मनोज कुंवर ने कहा कि गंगा सफाई के नाम पर भी खानापूर्ति का आरोप लगाया। कार्यक्रम में चिन्यालीसौड़ से आई रुचा के पोस्टरों के जरिये संदेश दिया। विजय भट्ट, त्रिलोचन भट्ट, इंद्रेश नौटियाल, सोनू सिंह, सुमन नेगी, बबीता नेगी, साक्षी रावत, योगेश बिष्ट, मनोज कुंवर, शुभम कंडारी, अरविन्द गन्नी, आशीष गन्नी आदि मौजूद रहे।