डोईवाला (आसिफ हसन) रविवार को जन सेवा समिति उत्तराखंड के तत्वावधान में विश्व जनसँख्या दिवस के अवसर पर ” भारत में जनसँख्या नियंत्रण की आवश्यकता” विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन पेस स्टडी वर्ल्ड निकट दून पब्लिक स्कूल भानियावाला में प्रातः 11 बजे से आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर दिगम्बर सिंह नेगी चेयरमैन सुभाषचंद्र बोस अकादमी बालांवाला द्वारा जनसँख्या नियंत्रण हेतु कानून बनाने की आवश्यकता पर अपना वक्तव्य रखा गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वी० एन० गिरी , प्रधानाचार्य राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज कोटि द्वारा की गई। कार्यक्रम में बोलते हुए विभिन्न वक्ताओं द्वारा भारत में बढ़ती हुई जनसँख्या के नियंत्रण हेतु जनजागरूकता, सर्व सुलभ शिक्षा एवं एक सख्त कानून की पैरवी की गई। इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य वक्ता दिगम्बर नेगी जी द्वारा कहा गया कि अब विकास का कोई भी मॉडल प्रकृति के साथ तारतम्य बिठाते हुए बनाया जाना चाहिए। पृथ्वी मानव के साथ साथ तमाम प्राणी जगत के लिए एक घर है। किन्त अन्य प्राणियों की तुलना में मनुष्य जाति ने पृथ्वी के पर्यावरण को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाया है जबकि मनुष्य के साथ साथ प्रत्येक प्राणी को जीवित रहने का समान अधिकार है। मनुष्य की अनियंत्रित ढंग से बढ़ती जनसंख्या पृथ्वी के उपलब्ध संसाधनों पर जबरदस्त दबाब पैदा कर चुकी है। इसलिये देश को एक सख्त जनसँख्या नियंत्रण कानून की अति आवश्यकत है। जन सेवा समिति के अध्यक्ष मनीष तोपवाल द्वारा कहा गया कि भारत की बढ़ती आबादी पर्यावरण संतुलन एवं विकास के दृष्टिकोण से एक गम्भीर चुनौती है। देश को जनसँख्या नियंत्रण कानून के साथ साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था कर इस दिशा में जागरुकता पैदा करनी होगी। सरदार भगवान सिंह विश्वविद्यालय के सीनियर लैब टेक्नीशियन सरदार प्रीतपाल सिंह द्वारा जनसँख्या नियंत्रण हेतु जनजागरूकता के साथ साथ अनिवार्य एवम सार्वभौमिक शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया गया। क्रिश्चियन वैलफेयर समति के अध्यक्ष टॉमस सेन द्वारा कहा गया कि भारत जैसे विकासशील देश में जनसँख्या नियंत्रण सामाजिक व राजनैतिक दोनों स्तरों पर एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। देश मे बहुत बड़ी आबादी ऐसी है जिस पर कानून के प्रोत्साहनपूर्ण या दंडात्मक प्रावधान कोई प्रभावी कार्य नहीं कर पाएंगे। अतः व्यापक जनजागरूकता ही जनसँख्या नियंत्रण का एक प्रभावी औजार है। जनसेवा समिति के सचिव एडवोकेट श्री भव्यदीप चमोला द्वारा कहा गया कि जनसँख्या की सतत वृद्धि दुनिया में उपलब्ध संसाधनों पर अतिरिक्त दबाब पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि क्या निकट भविष्य में दुनिया में उपलब्ध भौतिक संसाधन बढ़ती मानव आबादी की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए पर्याप्त होंगे? इसलिये बढ़ती आबादी पर प्रभावी नियंत्रण हेतु तुरन्त निर्णय लेने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर बोलते हुए ट्रेड यूनियन के नेता व सामाजिक कार्यकर्ता अश्विनी त्यागी द्वारा कहा गया कि द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात दुनिया के विभिन्न देशों में विकास के असंतुलन ने देशों में जनसँख्या वृद्धि की दर में भी असन्तुलन पैदा कर दिया। तीसरी दुनिया के देशों में तकनीक की कमी व औपनिवेशिक शोषण ने मानव समाज में विकास में भयंकर असन्तुलन को जन्म दिया। इन देशों में सार्वभौमिक शिक्षा की कमी व तकनीक के अज्ञान ने तेजी से बढ़ती आबादी का रास्ता खोल दिया गया। लेकिन इसके बावजूद जनसँख्या वृद्धि तात्कालिक रूप से कोई बहुत बड़ी चुनौती नहीं है। विश्व के कई देशों में जनसँख्या वृद्धि की ऋणात्मक दर शुरू हो चुकी है। भारत में भी जनसँख्या स्थिरता हेतु दीर्घकालिक उपाय करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर बोलते हुए मीडिया समूह के टीवी 100 से जावेद हुसैन द्वारा कहा गया कि मुस्लिम समाज के सामने भी व्यापक शिक्षा व जागरूकता के अभाव में जनसँख्या वृद्धि सामाजिक आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। किंतु वहीं समाज में शिक्षा के बढ़ने के साथ साथ लोगों में जनसँख्या नियंत्रण के प्रति जागरुकता लगातार बढ़ रही है।
मीडिया समूह से ही के न्यूज से बोलते हुए राजकुमार अग्रवाल द्वारा द्वारा जनजागरूकता के माध्यम से जनसँख्या नियंत्रण की पैरवी की गई। उनके द्वारा कहा गया कि जीवन निर्वाह की बढ़ती लागत स्वयं जनसँख्या वृद्धि पर एक नियंत्रणकारी कारक है।
इस अवसर पर बोलते हुए एडवोकेट एवम डोईवाला नगर पालिका के सभासद मनीष धीमान द्वारा जनसँख्या नियंत्रण हेतु प्रभावी कानूनी विधान के सम्भव होने की बात कही गयी। उन्होंने कहा कि कानूनी विधान द्वारा दो बच्चों की नीति को लागू किया जा सकता है। जिसके लिए प्रोत्साहन व दंडात्मक दोनों विधान सम्भव हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए डोईवाला नगर पालिका के सभासद ईश्वर सिंह रौथाण द्वारा जनसँख्या नियंत्रण हेतु जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाने की बात कही गयी। उन्होंने कहा कि जनसँख्या नियंत्रण कानून सभी धर्मों-जातियों पर समान रूप से लागू होगा। इसलिए यह कोई विभेदकारी कानून न होकर एक प्रगतिशील कानून होगा।
इस सम्बंध में अन्य कई वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में वी० एन० गिरी द्वारा कहा गया कि कोरोना जैसी बीमारी भी विकास हेतु प्रकृति से तारतम्य स्थापित न करने के कारण उतपन्न हुई है। बढ़ती आबादी व मनुष्य द्वारा प्रकृति के अनियंत्रित दोहन से पूरी मानव जाति अभूतपूर्व संकट का सामना कर रही है।
कार्यक्रम का संचालन कुलदीप सिंह प्रवक्ता गणित राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज इठारना द्वारा किया गया।
गोष्ठी में जन सेवा समिति के कैलाश राज नेगी, विपिन राणा, नागेंद्र सिंह चौहान, प्रीतपाल सिंह सैनी, प्रदीप बडोनी, सेवा निवृत्त सूबेदार मेजर श्री प्रमोद सिंह बिष्ट, टॉमस सेन,जेम्स रॉबर्ट मैसी आदि उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त अन्य आमन्त्रित अथिति गणों में वरिष्ठ भाजपा नेता विजय बख्शी, वेद प्रकाश कंडवाल जिला संयोजक नमामि गंगे विभाग देहरादून , कुशलानन्द भट्ट , विपिन भट्ट , महिपाल सिंह रावत ,प्रदीप बडोनी आदि उपस्थित रहे।
इसके साथ साथ मीडिया समूह से आसिफ हसन- शाह बुलेटिन, जावेद हुसैन-टीवी 100, रितिक अग्रवाल- जनता की आवाज एवम के न्यूज से राजकुमार अग्रवाल उपस्थित रहे।