वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक ने बताई जय प्रलय की हकीकत | Jokhim Samachar Network

Wednesday, April 24, 2024

Select your Top Menu from wp menus

वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक ने बताई जय प्रलय की हकीकत

देहरादूनः जोशीमठ के रैणी गांव में आई आपदा के बाद से ही लगातार राहत बचाव कार्य जारी है। वहीं, आपदा आने की असल वजह को वैज्ञानिकों ने ढूंढ़ लिया है। वैज्ञानिकों के अनुसार मृगुधानी चोटी से एक चट्टान गिरी थी.। क्योकि बर्फ गिरने, उसके पिघलने और फिर जमने से सतह दलदली बन जाती है और फिर चट्टानें कमजोर हो जाती है। जिसके चलते रॉक मास गिर गया और उसके ऊपर मौजूद ग्लेशियर हैंगिंग हो गया था। जिसके चलते ग्लेशियर भी टूट कर नीचे आ गया।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. कालाचंद साईं ने बताया कि ग्लेशियर ऐसे ही नहीं टूटते, बल्कि ग्लेशियर के टूटने के कई कारण होते हैं। लिहाजा जोशीमठ के रैणी गांव में आई आपदा ग्लेशियर टूटने की वजह से ही हुई है। लेकिन रैणी गांव के ऊपर मौजूद पहाड़ी चोटी से रॉक मास गिरने की वजह से ही ग्लेशियर टूटा है। क्योंकि गुरुत्वाकर्षण बल के कारण, रॉक मास गिरने के बाद ग्लेशियर ज्यादा देर तक हैंगिंग पोजीशन में नहीं रह सका। ग्लेशियर भी रॉक मास के साथ ही नीचे आ गया। डायरेक्टर के अनुसार, ग्लेशियर के नीचे की दलदली पुरानी चट्टान भारी मात्रा में मिटी, मलबे और पानी के साथ तेजी से लुढ़की. जहां शुरूआत हुई, वहां तीव्र ढलान होने से बहुत सारा पानी, बर्फ के बड़े टुकड़े तेजी से बहने लगे और रौगर्थी गदेरा मलबे से भर गया। उच्च हिमालय में 5600 मीटर की ऊंचाई पर इस घटना से ही प्लश प्लड की स्थिति बनी. कुछ देर के लिए यहां अस्थाई झील बनी। फिर ढलान पर निचले इलाकों में निकासी की सीमित जगह होने से मलबे का प्रेशर ज्यादा हो गया।

About The Author

Related posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *