विकासनगर। ह्यूमन राइट्स एंड आरटीआई एसोसिएशन ने यमुना नदी के दोनों ओर दो अलग-अलग कानून लागू किये जाने पर सवाल खड़े किये हैं। कहां कि आसन वेटलैंड क्षेत्र के चलते उत्तराखंड में यमुना नदी में दस किमी क्षेत्र में खनन कार्यों पर प्रतिबंध लगाया गया है। जबकि यमुना के उस पार जमकर खनन हो रहा है। हिमाचल के अलावा उत्तराखंड सहित विभिन्न प्रदेशों को खनन सामग्री बेची जा रही है।
ह्यूमन राइट्स एंड आरटीआई एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद शर्मा और महामंत्री भाष्कर चुग ने रविवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि आसन बैराज वेटलैंड क्षेत्र व रामपुर मंडी के बाहर यमुना नदी में खनन पर प्रतिबंध के चलते लाखों करोड़ों टन रेत बजरी के ढेर लगे हैं। जिसके चलते यमुना नदी की मूलधारा का रुख बदलकर खेती और घरों की ओर हो गया है। जिससे बाढ़ के दौरान लागों का भारी नुकसान होता है। वहीं आसन बैराज व रामपुर मंडी के ठीक सामने पांच सौ मीटर की दूरी मानपुर देवडा में यमुना नदी के दूसरे किनारे पर खुलेआम स्टोन क्रशर और स्क्रीनिंग प्लांट व स्टोन क्रशर के प्लांट खुलेआम चल रहे हैं। कहा कि प्रश्न यह उठता है कि उत्तराखंड आसन वैटलैंड क्षेत्र में दस किमी क्षेत्र में खनन से वन्य जीव प्रभावित होते हैं। जबकि ठीक आसन के सामने हिमाचल में इसी परिधि में खनन की खुली छूट है। आखिर यह कौनसा कानून और नियम हैं कि नदी के एक ओर वन्य जीव प्रभावित हो रहे हैं और दूसरी ओर इसका कोई असर नहीं है। उत्तराखंड के लोगों को जहां घर बनाने के लिए हिमाचल से महंगे दामों पर खनन सामग्री खरीदनी पड़ रही है। वहीं उत्तराखंड सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। जबकि हिमाचल की सरकार व खनन व्यावसायी मालामाल हो रहे हैं। कहा कि शीघ्र एसोसिएशन का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से मिलकर समस्या के समाधान की मांग करेगा।