ऋषिकेश। उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद एवं जल संस्थान ने कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने छात्र-छात्राओं को जल की गुणवत्ता परखने से संबंधित विभिन्न जानकारियां दी। मंगलवार को सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज आवास विकास में कार्यशाला आयोजित हुई। कार्यशाला का शुभारंभ श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के डा. गौरव वार्ष्णेय, टेरी एसएएस नई दिल्ली के प्राकृतिक संसाधन विभागाध्यक्ष प्रो. विनय एसपी सिन्हा, राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के जिला समन्वयक दिले राम रवि, प्रधानाचार्य राजेंद्र प्रसाद पांडेय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। डीएवी पीजी कालेज देहरादून के असिस्टेंट ऑफिसर डॉ. प्रशांत सिंह ने सामाजिक उपयोग के स्रोत पर अपना व्याख्यान दिया। कहा कि जल है तो जीवन है। जल की गुणवत्ता सदैव अच्छी होनी चाहिए, क्योंकि जल दूषित होगा, तो हमारा स्वास्थ्य अच्छा नहीं रह सकता। प्रो. विनय एसपी सिन्हा ने जल की गुणवत्ता खराब होने के कारणों के बारे में बताया। कहा कि सरकार के प्रयास से पूरे जिले में 26 वाटर क्वालिटी लैब स्थापित किए हैं, जिनके द्वारा जल की टेस्टिंग की जाती है। इसमें 15 क्वालिटी पैरामीटर्स की टेस्टिंग की जाती है, जो कि स्वास्थ्य की दृष्टि से पेयजल के लिए उत्तम है। जल संस्थान के इंजीनियर अनिल नेगी ने टेस्टिंग किट के माध्यम से ऋषिकेश में प्रयोग हो रहे जल की गुणवत्ता की परख की और बताया कि जल में विभिन्न पैरामीटर कितने पैमाने पर होने चाहिए। इस दौरान छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी दी। मौके पर कार्यक्रम संयोजक रामगोपाल रतूड़ी, जयकृत सिंह रावत, विजय पाल सिंह, एसएस श्रीवास्तव, गीता देवी यादव, ज्योति सडाना, मनोज कुमार गुप्ता आदि उपस्थित थे।