देहरादून। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक (आईएपी) देहरादून शाखा की ओर से हरिद्वार रोड स्थित एक होटल में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें राष्ट्रीय क्षयरोग निष्कासन कार्यक्रम के तहत नई जानकारियों को साझा किया। वहीं, उन्होंने कोरोना से बचाव के लिए कोविड से बचाव को एहतियात एवं बच्चों के सामान्य टीकाकरण को बेहद जरूरी बताया। घर में बड़ों को टीबी होने पर बच्चों की जांच अनिवार्य तौर पर कराने की बात कही। मुख्य वक्ता आईएपी राष्ट्रीय महासचिव बैंगलोर से आए प्रोफेसर डॉ० जीवी बसवराज, नई दिल्ली से आए विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ० अनुराग अग्रवाल रहे। उन्होंने टीबी के लक्षण, उपचार एवं नई तकनीक के बारे में बताया। कई केस स्टडी अपने संबोधन के दौरान बताकर डाक्टरों को नई तकनीक बताईं। बच्चे का विकास नहीं हो रहा, उसे बुखार, खांसी लंबे समय से हैं और वजन नहीं बढ़ रहा है तो उसको डाक्टर को दिखाएं एवं जांच कराएं। यदि किसी की टीबी की दवाई चल रही है, तो उसे पूरा करें। बच्चों को जन्म के समय बीसीजी के टीके से लेकर उम्र के साथ तमाम टीकाकरण जरूर कराएं। इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहती है और कोरोना समेत अन्य बीमारियों से बचे रहते हैं। तीसरी लहर के बारे में कहा कि वह तो आएगी ही, उससे लड़ने के लिए हमें मास्क, सामाजिक दूरी बहुत जरूरी है। इस दौरान डब्लूएचओ कंसलटेंट डॉ० अभिषेक, आईएपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ० आलोक सेमवाल, जिलाध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीवास्तव, दून अस्पताल के डिप्टी एमएस डॉ० एनएस खत्री, रायपुर के सीएमएस डॉ० प्रताप सिंह रावत, डॉ० उत्कर्ष शर्मा, डॉ० महेश अग्रवाल, डॉ० बिंदु अग्रवाल, डॉ० गीता खन्ना, डॉ० डीएस रावत, डॉ० मंजू रावत, डॉ० विपिन वैश्य, डॉ० विशाल कौशिक आदि मौजूद रहे।
आईएपी के उत्तराखंड अध्यक्ष डॉ० आलोक सेमवाल ने कहा कि सरकार का 2025 तक टीबी खात्मे का लक्ष्य है। हम सब को नये दिशा-निर्देशों को ध्यान में रख कर टीबी की जांच, उपचार एवं सरकार के निक्षय पोर्टल पर रिपोर्टिंग करनी होगी। जिलाध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि नई व्यवस्था पर हम सभी को ध्यान देना जरूरी है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ० मनोज वर्मा, ने कहा कि सरकार, प्राईवेट डाक्टर्स और विभिन्न एनजीओ को साथ लेकर चलना होगा तभी यह लक्ष्य हासिल हो पायगा।