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Tuesday, April 23, 2024

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नंदगांव गंगनानी मार्ग का है धार्मिक महत्वः बिष्ट

उत्तरकाशी। यमुना घाटी के नौगांव ब्लॉक के नंदगांव चलो अभियान के तहत गंगा घाटी और यमुना घाटी के पौराणिक पैदल मार्ग को नाकुरी सिंगोट फलाचा नंदगांव गंगनानी मोटर मार्ग के शीघ्र निर्माण के लिए बैठक का आयोजन किया गया।
इस दौरान गंगा विचार मंच से जुड़े लोकेन्द्र सिंह बिष्ट ने कहा कि नाकुरी सिंगोट फलाचा नंदगांव गंगनानी मार्ग का अपना ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व है। गौरतलब है कि नाकुरी सिंगोट फलाचा नंदगांव मोटर मार्ग काफी संघर्षों के बाद 2016 में स्वीकृत हुआ। काफी प्रयासों और संघर्षों से स्वीकृति मिली थी लेकिन राजनीतिक भेदभाव के चलते इस महत्वपूर्ण मोटर मार्ग पर कुछ स्वार्थी लोगों ने अड़चनें डाल रखी है।
आपको बताते चलें कि उत्तराखंड में सड़क मार्ग बनने से पूर्व चारधाम यात्रा पैदल मार्ग से ही होती थी। गंगोत्री यमुनोत्री यात्रा और गंगा घाटी यमुना घाटी के संपर्क का नाकुरी सिंगोट फलाचा नंदगांव गंगनानी पैदल मार्ग एक महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक मार्ग था।
दरअसल मुनि महाराज यानी जमदग्नि ऋषि का आश्रम यमुना किनारे थान गांव में था। जमदग्नि ऋषि नित्य यमुना किनारे नगाणगांव थान अपने आश्रम से इसी पैदल मार्ग से जो कि बांझ बुरांश कैल देवदार के जंगलों से होकर गुजरता है, से होते हुए गंगा किनारे नाकुरी में गंगा स्नान कर गंगा जल लेकर अपने आश्रम आते थे। ये उनकी नित्य प्रतिदिन की साधना थी। उम्र बढ़ने के साथ उनकी पत्नी माता रेणुका रोजाना ऋषि के लिए गंगाजल लेने इसी मार्ग से आती जाती थी।
एक समय आया जब ऋषि की माता रेणुका जी अनबन हो गई। तब ऋषि जमदग्नि जी ने यमुना किनारे मां गंगा जी की एक धारा प्रगट होने के लिये आराधना, कठोर तपस्या व स्तुति की। मुनि महाराज ऋषि जमदग्नि की तपस्या से अभिभूत होकर गंगा जी की एक धारा यमुना किनारे प्रकट होकर बहने लगी। तब ही से इस जगह का नाम गंगनानी पड़ा।
गंगनानी में जिस कुंड में गंगा की धारा बहती है उस जल का रंग उसी रूप हर बदलती ऋतु मौसम वही होता है जिस रंग रूप में गंगा जी का रंग होता है। इस कुंड में भी वही मछली होती हैं जो गंगा जी के जल में मिलती हैं। दूसरा यह कि आदिकाल से यमुनोत्री गंगोत्री यात्रा का यह ही एक पैदल मार्ग था जिसका उपयोग आज भी कई साधु संत करते हैं। इस मार्ग पर आज भी काली कमली वालों की एक बड़ी धर्मशाला भी सिंगोट के पास स्थित है।।
बैठक में प्रधान नंदगांव बादर सिंह बिष्ट, क्षेत्र पंचायत सदस्य कविता रावत, जगमोहन रावत, पूर्व प्रधान धर्मेंद्र बिष्ट, पूर्व प्रधान महाबीर बिष्ट, दशरथ बिष्ट, रणजीत सिंह बिष्ट, सुमेर बिष्ट, जितेंद्र बिष्ट, जीतमल, चंद्रमोहन बिष्ट एक्स आर्मी, योगेंद्र बिष्ट, नागेंद्र गुलोरिय, प्रेमसिंग गुलेरिया, त्रिलोक सिंह बिष्ट, भगेन्द्र बिष्ट, निहाल सिंह बिष्ट, प्रकाश बिष्ट, जगबीर सिंह बिष्ट, उपेंद्र राणा, भगेन्द्र राणा, तोतालाल, प्रबल सिंह बिष्ट आदि लोग उपस्थित थे।

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