देहरादून। एक ओर जहां लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गयी है तो वहीं राजनीतिक गलियारों में उत्तराखण्ड में सीएम त्रिवेन्द्र रावत को पार्टी आलाकमान द्वारा हटाए जाने के संबध में राजनीतिक गलियारों में चर्चा इन दिनों जोर पकड़े हुए है। इतना ही नही चर्चाओं में नए सीएम पद के नए दावेदारों के नाम भी सामने आने लगे है। जिससे उत्तराखण्ड में राजनीतिक सरगमियां रफतार पकड़ने लगी है। दो फरवरी के पार्टी अध्यक्ष के उत्तराखण्ड दौरे को भी इसी घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है।
सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत की जोरो टाॅलरेंस की सरकार पर जहां विपक्ष सवाल उठा रहा है तो वहीं सीएम से संबधित एक स्टिंग सामने आने के बाद उत्तराखण्ड के राजनीतिक गलियारों मंे हलचल तेज होने लगी है। इन दिनों भाजपा आलाकमान द्वारा सीएम त्रिवेन्द्र को हटाए जाने की चर्चाएं आम होने लगी है। इसकी वजह पार्टी कार्यकर्ताआंे व विधायकों की नाराजगी बताई जा रही है। खुद पार्टी सूत्रों का कहना है कि सीएम त्रिवेन्द्र के शासन में पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों की अनदेखी हो रही है। जिससे भाजपा के निष्ठावान पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं मंे आक्रोश पनपा हुआ है। जिसकी कई बार पार्टी आलाकमान से कई बार शिकायत भी की जा चुकी है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी के कई विधायक व संगठन के कई पदाधिकारी सीएम के खिलाफ लामबंद हो चुके है। जिन्होंने पार्टी आलाकमान को भी सीएम बदलने तक की सिफारिश की है। सूत्रों का यह भी कहना है कि लोकसभा चुनाव के लिए संगठन मंे हुंगार भरने के साथ साथ पार्टी अध्यक्ष अमित शाह उत्तराखण्ड आकर संगठन के पदाधिकारियों व विधायकों की नब्ज भी टटोलने का काम करेंगे। सूत्रों का यह भी कहना है कि भाजपा ने खुद उत्तराखण्ड मंे अंदरूनी सर्वे कराया था। जिसमें भी भाजपा की स्थिति उत्तराखण्ड मंे ठीक नही बताई जा रही है। लोकसभा चुनाव सिर पर है। फरवरी या मार्च के महीने में आचार संहिता लग जाएगी। ऐसे में भाजपा आलाकमान कोई ऐसा निर्णय लेगी इसकी संभावनाएं न के समान है। पर राजनीतिक गलियारों में सीएम के बदलने की चर्चाएं तेज हो रही है।