विकासनगर। राज्य आंदोलनकारियों की बैठक में प्रदेश सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए सात अगस्त को प्रस्तावित मुख्यमंत्री घेराव कार्यक्रम को सफल बनाने पर मंथन किया। साथ ही नौकरी में दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिए कोर्ट में दमदार पैरवी करने, हरबर्टपुर में शहीद स्थल के निर्माण के लिए जमीन आवंटित किए जाने की मांग भी सरकार से की गई। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच की हरबर्टपुर स्थित गढ़वाल सभा भवन में रविवार को बैठक संपन्न हुई। वरिष्ठ आंदोलनकारी अनिल कांडपाल ने कहा कि प्रदेश सरकार की लापरवाही के चलते आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण नहीं मिल रहा है।आरोप लगाया कि साजिश के तहत राज्य सरकार ने न्यायालय में दमदार पैरवी नहीं की है। कहा कि दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण राज्य आंदोलनकारियों का अधिकार है। कहा कि अब सरकार ने भू कानून की आड़ में प्रदेश में बाहरी लोगों को बसाने की साजिश शुरू कर दी है। जिससे पर्वतीय क्षेत्रों में भी दूसरे प्रदेशों के पूंजीपति स्थानीय संसाधनों का दोहन करने लगेंगे। नया भू कानून लागू होने के बाद प्रदेश का सामाजिक सांस्कृतिक ताना बाना बदल जाएगा। राजनैतिक और सामाजिक तौर पर बाहरी प्रदेश से आकर बसने वालों का दबदबा कायम हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की इस साजिश को किसी भी कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। अरविंद किमोठी ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण प्रक्रिया दुबारा शुरू की जानी चाहिए, जिससे सभी आंदोलनकारियों को राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि इस सभी मांगों को लेकर सात अगस्त को मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया जाएगा। इस दौरान राजीव बडोनी, दिनेश भारद्वाज, मोहन सिंह, सतीश भट्ट, भारती रतूड़ी, उमा गुप्ता, मंजू बिष्ट, बसंती रावत, माया डिमरी, विमला नेगी, पन्ना फर्त्याल, विश्वंभर नेगी, विमला डंगवाल आदि मौजूद रहे।