ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारत को दो वर्षो के लिये निर्विरोध संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् का अस्थायी सदस्य चुने जाने पर अत्यंत प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि वास्तव में यह गौरव का क्षण है। 192 में से 184 सदस्यों का समर्थन प्राप्त होना, वैश्विक स्तर पर भारत के सहयोग, सद्भाव, सद्भावना और वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना के असर को दर्शाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्यों ने भारी समर्थन देकर यह दिखा दिया कि भारत की छवि वैश्विक स्तर पर विश्वनीयता से युक्त है जो कि वैश्विक पटल पर भारत को उभरती महाशक्ति के रूप में पहचान को दर्शाता है, साथ ही शान्ति और अहिंसा को बढ़ावा देने वाली भी है।
भारत को 8 वीं बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् का अस्थायी सदस्य चुना गया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 प्रमुख हिस्सों में से एक है, जो कि वैश्विक स्तर पर शान्ति और सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु प्रतिबद्ध है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कोरोना संकट के काल में भारत के प्रधानमंत्री जी ने भारतीयों को एक विशाल परिवार की तरह सम्भालते हुये जिस धैर्य का परिचय दिया वह अद्भुत है। संकट के समय जब लोग अपना धैर्य खो देते हंै, उस समय माननीय मोदी जी के द्वारा लिये गये निर्णय उनकी बौद्धिक प्रखरता और दूरदर्शीता को दर्शाते हंै। किसी ने बहुत ही अच्छा कहा है कि ’’कामयाब व्यक्ति की सिर्फ चमक लोगों को दिखाई देती है पर उसने कितने अंधेरे देखे हैं यह कोई नहीं जानता। यदि सपनों को सच करना है तो रास्ते बदलो, सिद्धान्त नहीं, क्योंकि पेड़ हमेशा पत्तियाँ बदलते हैं, जड़ें नहीं।’’ यह चंद लाइने भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी के सफर को दर्शाती हैं कि किस प्रकार उन्होंने अनेक कठिनाईयों और बाधाओं को पार करते हुये देश को आगे बढ़ाया, संकट के समय में देशवासियों के दर्द को अपनाया और एक सच्चे संरक्षक की तरह मार्गदर्शन किया।
स्वामी जी ने कहा कि मोदी जी हैं तो मुमकिन है। देश के लिये गौरवमय और अभुतपूर्व क्षण है। पूरी दुनिया में देश की बढ़ती शक्ति का प्रतीक है, पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड में चेयरपर्सन के तौर पर भारतीय प्रतिनिधित्व और अब भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् का अस्थायी सदस्य चुना जाना यह दर्शाता है कि धीरे-धीरे हमारा देेश वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ रहा है और वैश्विक स्तर पर अपने परचम लहरा रहा है। वास्तव में यह देशवासियों के लिये गौरव का क्षण है। अब देशवासियों को भी जोर लगाना है कि वे देश के प्रति समर्पण भाव से आगे बढ़ें क्योंकि ’’देश हमें देेता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखंे।’’ मुझे विश्वास है कि दो वर्षो के लिये भारत का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में प्रतिनिधित्व पूरे विश्व के लिये वसुधैव कुटुम्बकम् की सौगात लेकर आयेगा, निश्चित रूप से भारत, शान्ति, सद्भावना और अहिंसा के मार्ग को प्रशस्त करेगा।