डोईवाला (आसिफ हसन) चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक और उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने चिन्हिकरण से वंचित राज्य निर्माण आंदोलनकारियों के तत्काल चिन्हित कराए जाने हेतु मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से तत्काल शासनादेश जारी करने की मांग की है ।
धीरेंद्र प्रताप ने शहीद स्मारक पर उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच द्वारा आयोजित आंदोलनकारियों की बैठक को संबोधित की। बैठक की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी ने की व संचालन पूर्ण सिंह लिंगवाल ने किया। इस मौके पर धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 1 सितंबर 2021 को खटीमा शहीद स्मारक पर यह ऐलान किया था कि आंदोलनकारियों का
चिन्हिकरण एक बार फिर से शुरू होगा और 31 दिसंबर तक 4 महीने में इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा । धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि इस कार्य में विलंब हो रहा है क्योंकि 8 दिन होने के बाद भी अब तक भी सरकार ने नया शासनादेश जारी नहीं किया है ।उन्होंने शासनादेश के मानकों पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार को चाहिए कि वह आंदोलनकारियों के एक दल को बातचीत के लिए आमंत्रित करें जिससे सरकार और अन्य आन्दोलनकारी मिलकर नए चिन्हित आंदोलनकारी यों के लिए एक व्यापक रूपरेखा तैयार कर सकें । उन्होंने ₹3100 पेंशन दिए जाने के फैसले की भी नुक्ताचीनी की और कहा कि यह पेंशन कम से कम ₹15000 प्रति मास होनी चाहिए .उन्होंने राज्य सरकार से 10% आरक्षण पर चुप्पी बरतने पर नाराजगी जाहिर की। राज्य आंदोलनकारी सुलोचना भट्ट , शकुंतला रावत, चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय संयोजक व पूर्व राज्य मंत्री मनीष कुमार, प्रवक्ता महेश जोशी ने भी अपने वक्तव्य में आंदोलनकारियों के चिन्हिकरण में हो रही देरी पर गहरी नाराजगी का इजहार किया। मनीष कुमार ने कहा जिस ढंग से सरकार चल रही है लगता है यह कार्य पूर्ण होने वाला नहीं है और सरकार की नियत वैसी दिखाई नहीं दे रही ।उन्होंने सरकार से इस मामले में तीव्र गति से कार्यवाही करने की मांग की और आंदोलनकारियों को वार्ता के लिए बुलाने के लिए सलाह दी ।
बैठक में उपस्थित ऋषिकेश से आए वयोवृद्ध आंदोलनकारी वेद प्रकाश शर्मा, नरेंद्र सौटियाल ,डी एस गोसाई कोटद्वार से आए महेंद्र सिंह रावत , बीना बहुगुणा प्रमिला रावत आदि नेताओं ने भी राज्य आंदोलनकारियों के मसले पर सरकार द्वारा बरती जा रही ढिलाई पर नाराजगी व्यक्त की गई और सभी का यह कहना था कि हमें आंदोलनकारी रणनीति को कायम रखना चाहिए और फिर से संगठित होकर सरकार के विरुद्ध जनमत जगाना चाहिए।