देहरादून। सांस्कृतिक संगठन पर्वतीय राज्य मंच द्वारा आज शनिवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में खटीमा के शहीदों की स्मृति में प्रथम कुमांउनी भाषा दिवस मनाया गया उत्तराखंण्ड के इतिहास में पहली बार इस तरह का लोकभाषा को समर्पित आयोजन किया गया।
समारोह में बड़ी संख्या में कुमांउनी और गढ़वाली समाज के लोगों ने भाग लिया। जिनमें महिलाओं ने विशेष भागीदारी की पर्वतीय राज्य मंच के संस्थापक सुप्रसिद्व उत्तराखंडी फिल्म निर्देशक अनुज जोशी ने इस अवसर पर कहा कि आज हमारी लोक भाषाएं गढवाली और कुमाउनी लगातार हाशिये पर जा रही है संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार अगले 150 सालों में ये भाषाएं लुप्त हो जाएंगी। उत्तराखण्ड की कोई भी सरकार लोक भाषाओं में दिलचस्पी नहीं लेती है इसलिए जो भी करना है वो संस्कृत कर्मियों को ही करना है कुमाउनी भाषा 700 साल से कुमाउ राज्य की राजभाषा रही है इसका इतिहास हिंदी से भी अधिक पुराना है इसलिये सरकार को अविलंब इसको आठवीं अनुसूची में शामिल करना चाहिए। पर्वतीय राज्य मंच के महासचिव वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी गिरीश सनवाल पहाडी ने कुमाउनी भाषा में कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर कुमानी लोक गायक हरीश महरा ने कुमानी बोली भाषा पर गीत भी प्रस्तुत किये।समारोह मे मशहूर लोकगायक जितेंद्र पंवार, मोहित कुमार, विजय शर्मा, संजय कुमोला आदि उपस्थित रहे।