डोईवाला (आसिफ हसन) मानसून की शुरुआत के साथ ही पहले थानों-रायपुर मार्ग फ्लाईओवर, फिर रायवाला-ऋषिकेश फ्लाईओवर और अब उसके बाद लच्छीवाला फ्लाईओवर की सड़क का स्खलन होना शुरू हो गया।
सड़क के साथ ही फ्लाईओवर के दोनों तरफ की रिटेनिंग वाल (दीवार) भी दरकने लगी है।
किसी भी प्रमुख प्रोजेक्ट की शुरुआत में उसकी मिट्टी की जांच ( सॉइल टेस्टिंग) होती है, और उसके बाद स्ट्रक्चर इंजीनियर से डिज़ाइन करवाने के बाद ही उस पर काम होता है।
डोईवाला निवासी मुगीस अहमद, जो एक स्ट्रक्चर इंजीनियर है, उन्होंने बताया अगर किसी जगह की मिट्टी कमजोर हो और वो एक स्ट्रक्चर का भार लेने के लिए पर्याप्त न हो तो उसका साइल (मिट्टी) स्टेबिलाइजेशन किया जाता है। स्खलन और दरकती दीवारों को पर्याप्त स्टेबिलाइजेशन से रोका जा सकता है। साथ ही, किसी भी पुल और फ्लाईओवर के निर्माण के दौरान किसी भी अनुभवी स्ट्रक्चर इंजीनियर और जियोटेक इंजीनियर को लगातार सलाहकार के रूप में संपर्क करते रहना चाहिए।
डोईवाला और लच्छीवाला की जनता को देहरादून से जोड़ने में ये फ्लाईओवर प्रमुख किरदार है , और इसकी दरकती दीवार किसी भी वक़्त फ्लाईओवर को ध्वस्त कर सकती है और एक बड़े हादसे को न्योता दे सकती है।