देहरादून। उत्तराखंड के रुड़की में अगस्त माह में सचिव ऊर्जा राधिका झा द्वारा हाई टेक डिवाइस से पकड़ी गई बिजली चोरी प्रकरण में ऊर्जा विभाग के यूपीसीएल व पिटकुल के अधिकारी बाज नही आ रहे हैं। मामले में ऊर्जा सचिव ने दोनों ही महकमों को त्वरित जाँच के आदेश दिए थे, लेकिन 5 माह बीत जाने पर भी आज तक मामले में ‘कौन दोषी और कब होगी कार्रवाई’ कहने के लिए कोई तैयार नहीं हैं। भले ही पिटकुल ने 13 लोगों को आरोप पत्र जारी कर दिये हैं।
दरअसल, सचिव राधिका झा ने रुड़की में अलग अलग जगह पर छापेमारी की थी, जिसमे लक्सर के 33 पिटकुल सब स्टेशन में इंस्ट्रुमेंट लगाकर पिटकुल और यूपीसीएल के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा बड़ी फैक्टरियों में चोरी करवाई जा रही थी। इस पर नाराजगी जताते हुए सचिव राधिका झा ने दोनों निगमों के एमडी को त्वरित जांच के आदेश सहित एफआईआर दर्ज करने को भी आदेश दिए थे। मामले में दो दिनों बाद पिटकुल के अधिकारीयों द्वारा रुड़की के बादराबाद थाने में अज्ञात के खिलाफ बिजली चोरी की एफआईआर दर्ज करवाई गयी थी। मामले में पहले ही लीपापोती सामने दिखने लगी थी, जब पिटकुल और यूपीसीएल के कर्मचारियों की मिली भगत से बिजली चोरी करवाई जा रही थी तो एफआईआर अज्ञात के खिलाफ क्यों।
इस मालमे में पुनः कोई कार्रवाई न होने पर 25 अक्टूबर को सचिव ऊर्जा राधिका झा द्वारा नाराजगी प्रकट करने और कड़े निर्देशों के बाद यूपीसीएल व पिटकुल ने उन मुख्य अभियंताओं के नेतृत्व में ही चार सदस्यीय कमेटी बना डाली, जिनकी कारगुजारियों का ही परिणाम है कि यूपीसीएल ने क्लीनचिट देकर पूरे मामले को संदेहास्पद बना दिया था। क्यूँकि यूपीसीएल ही बिजली डिस्ट्रीब्यूशन और बिलिंग का कार्य करता है तो बिना यूपीसीएल के अधिकारीयों की मिली भगत से कैसे बिजली चोरी हो कर बिजली बड़ी फैक्टरियों में पहुंची। इस पर सवाल उठने लाजमी है. आखिर क्यों यूपीसीएल ने उन्हीं अधिकारीयों को जांच सौंपी जो इसी सर्किल में तैनात थे?. कैसे वो अपनी टीम को दोषी करार देते, जबकि वो उसी टीम के सरगना हैं।