नई टिहरी। जल जीवन मिशन के कामों के दूसरे चरण की डीपीआर को लेकर डीएम इवा श्रीवास्तव ने संबंधित विभागों की बैठक ली। बैठक में दूसरे चरण के कामों को तेजी से पूरा करने के निर्देशों के साथ ही प्रतिसंयोजन खर्च में अंतर को देखते हुये जल निगम की 79 डीपीआर लौटाते हुये पुनर्निरीक्षण करने को कहा।
जिला सभागार में आयोजित बैठक में जल संस्थान की तैयार पूर्ण डीपीआर में औसतन प्रति संयोजन या एफएचटीसी खर्च 55 हजार जबकि जल निगम की तैयार डीपीआर के अनुसार प्रति एफएचटीसी औसतन खर्च 80 हजार रुपये है। जिसको देखते हुये बैठक में जल संस्थान की 121 डीपीआर को स्वीकृत किया गया। जबकि जल निगम की 79 डीपीआर को एक सप्ताह के लिए पुनः निरीक्षण के लिए वापिस किया गया। जल संस्थान के सापेक्ष जल निगम के प्रति एफएसटीसी खर्च को देखते हुए जिलाधिकारी ने जल निगम के अधिकारियों को डीपीआर का बारीकी से निरीक्षण करते हुए डीपीआर एक सप्ताह सप्ताह के भीतर पुनः प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। डीएम ने जल निगम के अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि वे जल संस्थान की बनाई गई डीपीआर का अवलोकन अवश्य करें, ताकि प्रति एफएसटीसी खर्च को कम किया जा सके। जल संस्थान की टिहरी डिविजन का औसतन प्रति संयोजन या एफएचटीसी खर्च 49 हजार, घनसाली 56 हजार जबकि देवप्रयाग डिवीज़न में यह खर्च 83 हजार रुपये है। वहीं जल निगम टिहरी डिवीजन का औसतन प्रति एफएचटीसी खर्च 99 हजार, चम्बा 80 हजार, घनसाली 72 हजार, मुनिकीरेती 79 हजार व देवप्रयाग डिवीजन में प्रति एफएसटीसी औसतन खर्च 1लाख 10 हजार रुपये है। इसके अलावा टाटा ट्रस्ट (हिमोत्थान) के 7 राजस्व गांवो में जल जीवन मिशन का कार्य किया जा रहा है। जिसमें विकासखण्ड भिलंगना के 5 गांव, चम्बा का 1 व 1 गांव जौनपुर का शामिल है। बैठक में अधीक्षण अभियंता जल संस्थान यशवीर मल्ल, अधीक्षण अभियंता जल निगम इमरान अहमद, ईई जल संस्थान सतीश नौटियाल, ईई जल निगम आलोक कुमार, पूर्व राज्यमंत्री बेबी असवाल, भाजयुमो के जिलाध्यक्ष परमवीर पंवार आदि मौजूद रहे।