जोशीमठ, चमोली के ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आयी आकस्मिक बाढ़ एवं आपदा के सम्बन्ध में सदस्य राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एन.डी.एम.ए.) से संयुक्त बैठक आयोजित की गयी | Jokhim Samachar Network

Friday, March 29, 2024

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जोशीमठ, चमोली के ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आयी आकस्मिक बाढ़ एवं आपदा के सम्बन्ध में सदस्य राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एन.डी.एम.ए.) से संयुक्त बैठक आयोजित की गयी

जोशीमठ, चमोली के ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आयी आकस्मिक बाढ़ एवं आपदा के सम्बन्ध में सदस्य राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एन.डी.एम.ए.) सैय्यद अता हसनेन व राजेन्द्र सिंह की संयुक्त अध्यक्षता में देशभर के महत्वपूर्ण तकनीकि और अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों के साथ विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संयुक्त बैठक आयोजित की गयी।
सभी वैज्ञानिकों ने जनपद चमोली में आई प्राकृतिक आपदा तथा उत्तराखण्ड में आने वाली अन्य आपदाओं से बेहतर तरीके से निपटने की रणनीति और विभिन्न संस्थानों के बेहतर समन्वय से विकास और पर्यावरण के मध्य  संतुलन स्थापित करने के सम्बन्ध में व्यापक विचार-विमर्श किया गया तथा महत्वपूर्ण सुझाव आदान-प्रदान किये गये।
विचार-विमर्श में तय किया गया कि विभिन्न संस्थानों की एक संयुक्त कमेटी बनायी जाय जो हिमालय में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम और पर्यावरण के संरक्षण के सम्बन्ध में गहन अध्ययन करते हुए उत्तराखण्ड सरकार को अपनी रिपोट प्रस्तुत करेंगे साथ ही प्राकृतिक आपदा के निपटने के लिए उत्तराखण्ड सरकार को हर तरह की तकनीकि व अन्य प्रकार की मदद प्रदान की जायेगी।
इस दौरान मुख्य सचिव उत्तराखण्ड श्री ओम प्रकाश ने राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण और बैठक से जुड़े संस्थानों को अवगत कराया कि आपदा प्रभावित क्षेत्र में बनी प्राकृतिक झील को तुड़वाने के लिए लगातार संतुलित तरीके से काम किया जा रहा है। उन्होंने उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र (यूसैक) के निदेशक डॉ. एम.पी. बिष्ट की रिपोर्ट का हवाला दते हुए कहा कि कुछ दिन पूर्व प्राकृतिक झील से केवल एक ओर से पानी की निकासी हो रही थी किन्तु सैटेलाइट के ताजा आंकड़ों के अनुसार अब तीन ओर से झील से पानी के निकासी हो रही है जिससे किसी भी प्रकार के संकट की कोई संभावना नहीं है।
मुख्य सचिव ने इस दौरान नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, राज्य आपदा मोचन बल (एस.डी.आर.एफ.), आई.टी.बी.पी. और युसैक के निदेशक को संयुक्त रूप से झील वाले क्षेत्र की रेकी करते हुए उनको रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।
इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में अतिरिक्त सचिव भारत सरकार डॉ. वी. त्रिपुगा, संयुक्त सचिव रमेश कुमार दन्ता सहित भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आई.एम.डी), वाडिया भूविज्ञान संस्थान, आई.आई.टी. रूड़की, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एन.आई.एच.), भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान, रक्षा भू-भाग अनुसंधान प्रयोगशाला (डी.टी.आर.एल.), एन.टी.पी.सी. आदि विभाग और संस्थान बैठक से जुड़े हुए थे।

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