रेल विभाग की लापरवाहीयों को खामियाजा भुगत रहे है यात्री अपने व्यवसायिक अंदाज को बनाये रखते हुये यात्रियों को बेहतर सुविधाऐं देने को दावा करने वाली भारतीय रेल एक बार फिर अपनी ही घोषणाओं को लेकर सवालिया घेरे में है। गौरेतलब है कि देहरादून रेलवे स्टेशन पर चल रहे निर्माण कार्यो को देखते हुये रेल विभाग द्वारा दिनांक 18.04.2017 से 23.05.2017 तक कुछ रेलों का देहरादून रेलवे स्टेशन से जाना व यहां तक आना प्रतिबन्धित कर दिया गया है जिसके चलते बिना किसी पूर्व सूचना के एकाएक ही उठाये गये रेलवे विभाग के इस कदम के बाद यात्रियों को लगातार फजीहत का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व में इस विषय को लेकर रेलवे स्टेशन देहरादून पर कुछ यात्रियों द्वारा हंगामा किये जाने पर विभाग द्वारा प्रेस कांफ्रेस के जरिये बताया गया कि देहरादून रेलवे स्टेशन से निरस्त समस्त ट्रेने हरिद्वार तक आयेंगी और यात्रियों को देहरादून से हरिद्वार तक सम्बन्धित ट्रेन तक जाने के लिऐ पूर्व में रिजर्व कराये टिकटों के आधार पर देहरादून से हरिद्वार तक जाने की व्यवस्था दी जायेगी तथा जो यात्री यात्रा नही करना चाहंेगे उन्हें उनके द्वारा किया गया पूरा भुगतान वापिस किया जायेगा जबकि अपने संसाधनों से हरिद्वार तक यात्रा करने वाले यात्री को उसकी यात्रा समाप्त हो जाने के बाद टीटी द्वारा प्रदत्त प्रमाणपत्र के आधार पर अन्तिम स्टेशन से देहरादून से हरिद्वार तक का किराया वापस दिया जायेगा। उक्त संदर्भ में एक वाकया कल सामने आया जब पीएनआर नं. 233-0373146 पर थर्ड ऐसी के टिकट बुक करने वाली एक महिला ने अपना टिकट वापसी कर किराये की मांग की। हुआ कुछ यूं कि जब उक्त पीएनआर नंबर का स्टेटस चैक करने की कोशिश की गयी तो ज्ञात हुआ कि वेंटिग लिस्ट के इन टिकटों को निरस्त कर दिया गया है और जब उक्त टिकट वापसी के लिऐ देहरादून रेलवे स्टेशन के पूछताछ काउन्टर पर आवेदन किया गया तो ज्ञात हुआ कि उक्त टिकट को वीआईपी श्रेणी का दर्जा देते हुये पीएनआर नंबर बदलकर इस पर सीट आरक्षित कर दी गयी है तथा चार्ट बन जाने के कारण टिकट वापसी संभव नही है। इस संदर्भ में रेल विभाग द्वारा की गयी प्रेस कांफ्रेस का हवाला दिये जाने के पर काफी लंबी जद्दोजहद पर रेलवे कर्मचारी इस बात पर राजी हुये कि उक्त टिकट को जमाकर एक रसीद अभ्यर्थी को दे दी जाय जिसपर रेल विभाग अगर चाहेगा तो उपभोक्ता का पैसा वापस कर देगा। उक्त सम्पूर्ण प्रकरण में उपभोक्ता की कहीं कोई गलती नही थी लेकिन उसे न चाहते हुये भी अपना समय खराब करने के साथ ही साथ उक्त रू. 610/ का हर्जाना भुगतना पड़ा तथा इस सारी जद्दोजहद के चलते वह हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कालेज में इलाज करा रही अपनी माताजी के पास भी नही पहुंच पायी। इस सम्पूर्ण घटनाक्रम को रेल विभाग की लापरवाही कहें या फिर यात्रियों के प्रति उसका गैर जिम्मेदाराना रवैय्या लेकिन यह सच है कि भारतीय रेलवे की इस मनमानी का खामियाजा वर्तमान में देहरादून से यात्रा करने वाले अधिकांश रेल यात्री भुगत रहे है।